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बाला साहेब ने जिंदगी लगाकर कम्युनिस्टों को उखाड़ा, आज लेनिन के लिए रो रहा उनका कुपुत्र

वामपंथियों का तो समझ में आता है की लेनिन के लिए उनके सीने में विशेष दर्द है, देश के सेक्युलर भी लेनिन के लिए आंसू बहाये तो समझ में आता है, पर उद्धव ठाकरे 
उद्धव ठाकरे भी लेनिन की मूर्ति को गिराए जाने से बेहद आहात है, और उन्होंने इसकी आलोचना की है, बीजेपी विरोध के चक्कर में उद्धव ठाकरे भी वामपंथी समर्थक बन गए, उद्धव ठाकरे शिव सेना के नेता है, इनके पिता बाला साहेब ठाकरे ने इस पार्टी को अपने खून से सींचा था, बाला साहेब ठाकरे और उनकी पार्टी मुख्य तौर पर महाराष्ट्र तक ही सिमित थे, पर बाला साहेब के कार्यों के कारण पुरे देश में उन्हें लोकप्रियता प्राप्त थी

बाला साहेब ने राजनीती की शुरुवात ही वामपंथ के खिलाफ की थी, उन्होंने कोंग्रेस नहीं  बल्कि सबसे पहली लड़ाई वामपंथियों के खिलाफ 1960 के दशक में लड़ी थी, वामपंथियों ने पुरे मुंबई पर कब्ज़ा किया हुआ था, बाला साहेब ने पूरा जीवन लगाया तब जाकर 1990 के दशक में मुंबई से वामपंथियों को उखाड़ पाए, और आज भी मुंबई और महाराष्ट्र में वामपंथी कोई हैसियत नहीं रखते, पर उन बाला साहेब का पुत्र लेनिन के लिए बीजेपी का विरोध कर रहा है, ये बेहद शर्मनाक है 



आज बाला साहेब की आत्मा फिर एक बार उनके कुपुत्र द्वारा आहात हुई होगी, बीजेपी का विरोध करना है तो हिंदुत्व के मुद्दे पर करो, अन्य मुद्दों पर करो पर बीजेपी विरोध के लिए आप वामपंथियों के समर्थक हो जाओगे, इसी प्रकार बीजेपी के विरोध के लिए कोंग्रस की तरह उद्धव पाकिस्तान के भी समर्थक हो जायेंगे !!

उद्धव ठाकरे  अपनी पार्टी और कार्यकर्ताओं का भविष्य ख़राब तो कर ही रहे है, पर अपने पिता की आत्मा को लगातार ठेस पहुंचा रहे है, पिछले दिनों उद्धव ठाकरे ने हज की भी बधाइयाँ दे रहे थे, जबकि उनके पिता की विरासत बिलकुल उलट थी, और जब उनका देहांत हुआ तो पूरा देश रोया, उद्धव ठाकरे ने साबित कर दिया है की वो बाला साहेब ठाकरे की विरासत को सँभालने के लायक नहीं है