ये पटाखों का मुख्य तौर पर विरोध 2004 के बाद से ही शुरू हुआ
2004 से पहले दीपावली
मिठाइयों, लाइट, फुलझड़ी, पटाखों का ही त्यौहार हुआ करता था, पर वामपंथियों ने 2004 के बाद से तमाम हिन्दू त्यौहारों को निशाने पर लेना शुरू कर दिया
शिवरात्रि का विरोध, दूध मत बहाओ
नवरात्री का विरोध, माता को गालियां, व्रत का विरोध, करवाचौथ का विरोध, छठ पूजा नदी विरोधी, गणेश पूजा नदी विरोधी, दुर्गा पूजा नदी विरोधी, होली पानी विरोधी, रक्षाबंधन महिला विरोधी
जलीकट्टू जानवर विरोधी और सिर्फ व् सिर्फ हिन्दू त्यौहार ही निशाने पर
2017 आते आते हिन्दू जनसँख्या 74% है
और दिल्ली में दीपावली पर पटाखों पर बैन लगा दिया गया, शुरुवात हो गयी है
आज कहा जा रहा है की, दिवाली पटाखों का त्यौहार नहीं है, दिवाली सिर्फ मिठाइयों और लाइट का त्यौहार है
2027 आते आते हिन्दू जनसँख्या 70% हो जाएगी
तब कहा जायेगा की, दिवाली सिर्फ मिठाइयों और खुशियों का त्यौहार, लाइट से बिजली बर्बाद होती है, दीयों से तेल बर्बाद होता है, बर्बादी बंद करो, दिवाली को मिठाइयों और खुशियों से मनाओ
2037 आते आते हिन्दू जनसँख्या 60% हो जाएगी
तब कहा जायेगा, दिवाली सिर्फ खुशियों का त्यौहार है, बंद करो मिठाइयों और अन्य गिफ्ट्स का चलन, पैसा बचाओ, गरीबों को दो, दिखावा बंद करो
और 2050 आते आते हिन्दू जनसँख्या 45% हो जाएगी
तब कहा जायेगा, क्या होती है काफिर दिवाली, बैन करो काफिर दिवाली को, और फाइनली 2050 तक भारत की भूमि पर दिवाली को बैन कर दिया जायेगा
और हां जहाँ हिन्दू 45% हुए, वहां भारत शब्द भी नहीं रहेगा, न ही ये संविधान ही होगा, देश का कोई नया अरबी नाम होगा, वो भी शरिया कानून के साथ, ये बाते भले ही सिर्फ अभी कोरी कल्पना लग रही हो
पर स्तिथि यही रही तो भविष्य का सच यही है