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हिन्दू-सिखों ने इस्लामिक हमलावरों से दिल्ली छीनी थी, कांग्रेस ने दोनों से बार बार बदला लिया



कांग्रेस ने हिन्दुओ और  सिखों से आखिर किसका बदला लिया ?

हिन्दू और सिख ही थे जिन्होंने इस्लामिक हमलावरों से लोहा लिया, उन्हें कभी पुरे भारत पर कब्ज़ा नहीं करने दिया, ईरान, इराक की तरह भारत इस्लामिक नहीं बन सका 

भारत के एक बड़े भूभाग जिसे आज पाकिस्तान और बांग्लादेश कहते है 
उसे तो कांग्रेस और उसकी साथी मुस्लिम लीग इस्लामिक बनाने में कामयाब रही, पर भारत के बड़े भूभाग को इस्लामिक नहीं बनाया जा सका 

क्यूंकि हिन्दुओ और सिखों ने मुकाबला किया, और इस्लामिक हमलावरों से बार बार दिल्ली छीनी, लाहौर भी छीनी, अंग्रेजो के आने के पहले दिल्ली पर मराठा कण्ट्रोल था, और लाहौर पर सिख 

कांग्रेस जिसके अंदर मुगलों का डीएनए है, इंदिरा गाँधी खुद बाबर की मजार पर अफगानिस्तान में गयी थी 
उसने हिन्दुओ और सिखों से बराबर बदला लिया है अपनी खुन्नस  हिन्दुओ और सिखों के खिलाफ निकाली है 

1975 जब इंदिरा गाँधी को राजनितिक तौर पर हिन्दू चुनौती देने लगे 
तो इंदिरा ने आपातकाल लगा दिया, उस ज़माने में नरेंद्र मोदी, सुब्रमण्यम स्वामी जैसे हिन्दुओ को बचने के लिए सिखों का भेष बनाना पड़ा 

और 1984 में दिल्ली में सिखों को अपनी जान बचाने के लिए केश कटवाना पड़ा, बड़े पैमाने पर सिखों ने 
अपनी जान को राजीव गाँधी के लोगों से बचाने के लिए अपने केश कटवाए और भेष बदला 

हिन्दुओ और सिखों के बीच गाँधी परिवार का खौफ हुआ करता था 
आज नरेंद्र मोदी सत्ता में है पर पहले इंदिरा सत्ता में थी, तब हिन्दुओ और सिखों दोनों के मन में इंदिरा का खौफ हुआ करता था, 1984 में सिख राजीव गाँधी के नाम से दहल जाते थे 

इतिहास को देखकर ये साफ़ कहा जा सकता है की गाँधी परिवार हिन्दू और सिख के लिए आतंकी परिवार रहा है, गाँधी परिवार के आतंक को हिन्दुओ और सिखों ने झेला है