कई बार एक फैसला इंसान की पूरी जिंदगी बदल देता है। ऐसा ही कुछ पुणे के इस शख्स के साथ भी हुआ। जिसके एक फैसले ने उसे ड्राइवर से सेना का अधिकारी बना दिया। कैब ड्राइवर से सेना में अधिकारी बनने की इस जवान की कहानी ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी है। इस कहानी को जो भी पढ़ता पूरे जोश से भर जाता है। लोग इनके जज्बे और बुलंद हौंसलों की तारीफ कर रहे हैं।
कैब ड्राइवर से सेना के अधिकारी बने इस अफसर का नाम ओम है। ओम के पिता एक किसान थे और गाड़ी भी चलाते थे। लेकिन एक हादसे में उनके दोनों पैर खराब हो गए। इसके बाद वह वॉचमैन का काम करने लगे। लेकिन घर की स्थिति बिगड़ चुकी थी और इस हालत में ओम को घर चलाने की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी।
ओम ने कैब चलाना शुरू किया।ओम बताते हैं कि एक दिन उसकी कैब में एक रमेश बाबू नाम का कर्नल बैठा जिसके बाद दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई। ड्राइवर उनकी बातों से इतना प्रभावित हुआ कि उसने टैक्सी चलाना ही छोड़ दिया। उसने सशस्त्र सीमा बल के लिए परीक्षा दी और उसमें कामयाबी हासिल की। कैडेट ओम पैथाने ने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी ज्वॉइन कर ली है।
बता दें कि ओम बीएससी (कंप्यूटर साइंस) फाइनल ईयर की पढ़ाई भी कर रहे थे और साथ में ओला की कैब भी चलाने लगे। कर्नल ने ओम की उम्र और पढ़ाई में लगन को देखते हुए सीडीएस के बारे में बताया और भारतीय सेना में जाने के लिए कहा। कर्नल ने अपनी जिंदगी के बारे में भी ओम को बताया, जिससे ओम को काफी प्रेरणा मिली। बीएससी खत्म होने के बाद ओम ने सीडीएस की तैयारी करनी शुरू कर दी। 2016 में उन्होंने पहले ही प्रयास में सीडीएस क्वॉलिफाई भी कर लिया। उन्होंने बताया, 'जब मेरा सेलेक्शन हुआ तो मैंने सबसे पहले उन रिटायर्ड कर्नल को ही फोन किया जिन्होंने मुझे सीडीएस के बारे में बताया था।
ओम कहते हैं कि सेना में भर्ती होने के लिए मिलने वाली ट्रेनिंग ने उनके भीतर आत्मविश्वास भर दिया। उन्होंने सीडीएस प्रथम 2016 के एग्जाम में 92वीं रैंक हासिल की थी। इस बार ट्रेनिंग अकैडमी में कुल 257 कैडेट्स पासिंग आउट परेड में शामिल हो रहे हैं। आर्मी में शामिल होने वाले कैडेट्स में विभिन्न क्षेत्रों के छात्र शामिल हैं। नेशनल लेवल बॉक्सिंग प्लेयर से लेकर भारतीय टीम का रग्बी प्लेयर और दो आर्मी की विधवाएं भी शामिल हैं।
ओम आज उन लोगों के लिए मिसाल हैं जो जीवन में कुछ करना चाहते हैं। साथ ही ओम की कहानी उन लोगों को प्रेरित करती है जो अपनी मंजिल हासिल करने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं। ओम का प्रयास यह बताता है कि मजबूत इच्छाशक्ति के साथ सब कुछ संभव हो सकता है।
कैब ड्राइवर से सेना के अधिकारी बने इस अफसर का नाम ओम है। ओम के पिता एक किसान थे और गाड़ी भी चलाते थे। लेकिन एक हादसे में उनके दोनों पैर खराब हो गए। इसके बाद वह वॉचमैन का काम करने लगे। लेकिन घर की स्थिति बिगड़ चुकी थी और इस हालत में ओम को घर चलाने की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी।
ओम ने कैब चलाना शुरू किया।ओम बताते हैं कि एक दिन उसकी कैब में एक रमेश बाबू नाम का कर्नल बैठा जिसके बाद दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई। ड्राइवर उनकी बातों से इतना प्रभावित हुआ कि उसने टैक्सी चलाना ही छोड़ दिया। उसने सशस्त्र सीमा बल के लिए परीक्षा दी और उसमें कामयाबी हासिल की। कैडेट ओम पैथाने ने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी ज्वॉइन कर ली है।
बता दें कि ओम बीएससी (कंप्यूटर साइंस) फाइनल ईयर की पढ़ाई भी कर रहे थे और साथ में ओला की कैब भी चलाने लगे। कर्नल ने ओम की उम्र और पढ़ाई में लगन को देखते हुए सीडीएस के बारे में बताया और भारतीय सेना में जाने के लिए कहा। कर्नल ने अपनी जिंदगी के बारे में भी ओम को बताया, जिससे ओम को काफी प्रेरणा मिली। बीएससी खत्म होने के बाद ओम ने सीडीएस की तैयारी करनी शुरू कर दी। 2016 में उन्होंने पहले ही प्रयास में सीडीएस क्वॉलिफाई भी कर लिया। उन्होंने बताया, 'जब मेरा सेलेक्शन हुआ तो मैंने सबसे पहले उन रिटायर्ड कर्नल को ही फोन किया जिन्होंने मुझे सीडीएस के बारे में बताया था।
ओम कहते हैं कि सेना में भर्ती होने के लिए मिलने वाली ट्रेनिंग ने उनके भीतर आत्मविश्वास भर दिया। उन्होंने सीडीएस प्रथम 2016 के एग्जाम में 92वीं रैंक हासिल की थी। इस बार ट्रेनिंग अकैडमी में कुल 257 कैडेट्स पासिंग आउट परेड में शामिल हो रहे हैं। आर्मी में शामिल होने वाले कैडेट्स में विभिन्न क्षेत्रों के छात्र शामिल हैं। नेशनल लेवल बॉक्सिंग प्लेयर से लेकर भारतीय टीम का रग्बी प्लेयर और दो आर्मी की विधवाएं भी शामिल हैं।
ओम आज उन लोगों के लिए मिसाल हैं जो जीवन में कुछ करना चाहते हैं। साथ ही ओम की कहानी उन लोगों को प्रेरित करती है जो अपनी मंजिल हासिल करने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं। ओम का प्रयास यह बताता है कि मजबूत इच्छाशक्ति के साथ सब कुछ संभव हो सकता है।