अब NDTV पर सख्ती हो रही है, अलगाववादियों पर सख्ती हो रही है, नक्सलवादियों को फण्ड नहीं मिल पा रहा, NGO वालों को वदेशी फण्ड नहीं मिल पा रहा
अख़बार वालों को हवाला का फण्ड नहीं मिल पा रहा
जबकि 2014 से पहले करोडो रुपए विदेशों से भी मिलते थे और सरकार से भी
पर अब सब बंद है, ऐसे में आपको क्या लगता है की ये लोग चुप रहेंगे
अब इनका एकमात्र लक्ष्य है, बीजेपी विरोधी लहर बनाना, कैसे भी 2019 में मोदी को हराना कांग्रेस को वापस लाना, वरना अगर 2019 में भी मोदी आ गया तो
देशविरोधियों को भारत से अपना बोरिया बिस्तर समेटना पड़ेगा
लोकसत्ता नामक एक वामपंथी अख़बार ने खबर छापी, महाराष्ट्र में एक और किसान ने की आत्महत्या
ये खबर इसलिए छापी गयी ताकि बीजेपी की सरकार को घेरा जा सके
बीजेपी विरोधी लहर बन सके
पर जिस किसान को लोकसत्ता नाम के अख़बार ने मरा हुआ घोषित कर दिया, और उसकी तस्वीर भी लगा दी, वो शख्स सामने आ गया, अरे मैं तो जिन्दा हूँ
वामपंथी अख़बार का झूठ पकड़ा गया, तो सरकार लाइसेंस न रद्द करने लगे
फ़ौरन अगले दिन माफ़ी नामा छापा, और किसान जिसे 1 दिन पहले मार दिया था उसे जिन्दा घोषित किया
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1 दिन पहले किसान को मार दिया |
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अगले दिन माफीनामा और किसान को जिन्दा घोषित किया |
Yesterday @LoksattaLive reported Maharashtra farmer's suicide on Pg1 & after being called out, today clarifies that he's alive. 'Fake'satta! pic.twitter.com/jbOO9LO1VF— Priti Gandhi (@MrsGandhi) October 9, 2017
अगर ये किसान सामने नहीं आता, तो विपक्ष इसकी तस्वीर को आगे बढाकर मुद्दा बनाता
सरकार को किसी भी तरह हटा देना चाहती है वामपंथी मीडिया
क्यूंकि 2014 से पहले इनके सुनहरे दिन चल रहे थे, पैसा, अय्याशी, अब 2014 में बाद पैसा बंद हो गया, अय्याशी बंद हो गयी, कहाँ रहने देना चाहेंगे ये लोग मोदी को !