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भारत में लाशों का दफनाना और कब्रिस्तानों पर तत्काल बैन लगाना क्यों है जरुरी ?



भारत में लाशों का दफनाना और कब्रिस्तानों पर तत्काल बैन लगाना क्यों है जरुरी ? 
ये एक गंभीर सवाल है जिसपर भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में चर्चा होनी ही चाहिए 

हालाँकि बुद्धिजीवी वर्ग इन प्रश्नो पर चर्चा करने से भी डरता है, कारण कुछ भी हो पर ऐसे प्रश्नो पर चर्चा नहीं होती, न ही बड़े बड़े पत्रकार ऐसे प्रश्नो पर कोई लेख लिखने की भी हिम्मत करते है 

प्रश्न ये है की, भारत में लाशों का दफनाना और कब्रिस्तानों पर तत्काल बैन लगाना क्यों है जरुरी ? 

भारत देश की सीमा लिमिटेड है
 पर जनसँख्या में जबरजस्त गति से वृद्धि हो रही है, और जनसँख्या वृद्धि में भी विशेष समुदाय का अधिक योगदान है, जो मजहबी अजेंडे के कारण जनसँख्या वृद्धि कर रहा है 

क्यूंकि अन्य इस्लामिक देश भी है जैसे सऊदी अरब, इराक, टर्की इत्यादि वहां इस तरह बच्चे नहीं पैदा किये जाते, परन्तु चूँकि भारत को गजवा हिन्द करने का मकसद है अतः यहाँ विशेष समुदाय अधिक बच्चे अजेंडे के तहत करता है, खैर 

तो जनसँख्या वृद्धि तेजी से हो रही है, और जमीन कम होती जा रही है 
देश में कब्रिस्तान कई समुदायों में है, जैसे ही इस्लामिक और ईसाई समुदाय में, ये लोग मरने के बाद अपने परिजनों को मिटटी में गाड़ते है, ये भारतीय परंपरा नहीं है विदेशी परंपरा है 

अब मिटटी में गाड़ने के बाद उनपर स्मारक भी बनाते है, पूरा कब्रिस्तान बना दिया जाता है 
और पूरी की पूरी जमीन को एक मुर्दा कब्जा लेता है 
देश में करोडो एकड़ जमीनों पर तो बस मुर्दो का  कब्ज़ा है, ये लोग मर चुके है, मरने के बाद भी जमीनों पर कब्ज़ा कर बैठे है 

वहीँ शहरों में बच्चों के खेलने के लिए ग्राउंड नहीं है, इस करोडो एकड़ जमीन पर मैदान बनाये जा सकते है 
अस्पताल बनाये जा सकते है, स्कुल बनाये जा सकते है, रोजगार केंद्र बनाये जा सकते है 
फलों और सब्जियों की मंडियां बनाई जा सकती है, बाजार बनाये जा सकते है 

इस करोडो एकड़ जमींन का इस्तेमाल खेती में हो सकता है, जिस से देश में अनाज की उपलब्धता करवाने में भी मदद मिलेगी 

करोडो एकड़ जमीनो पर कब्रिस्तान बना दिया गया है, इस जमीन की ज्यादा जरुरत जिन्दा इंसानो को है या जो पहले मर चुके है उनको है, अभी दिल्ली के ही इस कब्रिस्तानों को देखिये 

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यहाँ पार्क बन सकता था, दिल्ली में जगह वैसे भी कम है, यहाँ स्कुल, अस्पताल और कई तरह की चीजें बन सकती थी, ये जमीन जिन्दा लोगों के काम आ सकती थी 
पर जमीन पर मुर्दो ने कब्ज़ा कर रखा है

ऐसे ही भारत में करोडो एकड़ जमीनों पर मुर्दों का कब्ज़ा है, जिन्दा इंसानो के रहने के लिए जमीन नहीं है 
पर मुर्दों ने करोडो एकड़ जमीनों पर कब्ज़ा जमा लिया है 

भारत जैसे देश में जहाँ पहले से इतनी जनसँख्या है और जनसँख्या में वृद्धि भी तेजी से हो रही है 
वहां पर लाशों के दफ़नाने की परंपरा पर और कब्रिस्तानों पर पूरी तरह बैन लगना चाहिए, और जो कब्रिस्तान पहले से ही है, वहां स्कुल कॉलेज, सामुदायिक केंद्र इत्यादि खुलना चाहिए 
ताकि देश का कुछ भला हो