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गज़ब सेकुलरिज्म : कांग्रेस नेता ने मुहर्रम और बकरीद को बताया दीपावली से बेहतर



कांग्रेस और उसके नेता हिन्दू समाज के प्रति किस प्रकार का सोच रखते है ये पूरी दुनिया जानती है 
कांग्रेस के एक ऐसे ही नेता है जो की केरल से आते है 
केरल वही राज्य जहाँ कांग्रेस ने गाय को सड़क पर काटा था 

कांग्रेस नेता शशि थरूर बहुत खुश है, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सिर्फ दीपावली के मौके पर पटाखों पर बैन लगाया है, जिसके बाद तमाम सेक्युलरो की तरह शशि थरूर भी बेहद खुश है 
उन्होंने कई ट्वीट किये और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ख़ुशी जताई 

पर कुछ लोगों ने शशि थरूर को ट्विटर पर सवाल करने शुरू कर दिए, बहस शुरू हो 
गयी, लोगों का कहना था की आप दीपावली के पटाखों पर बैन चाहते हो, कभी मुहर्रम के खून पर भी बैन की बात करो, बकरीद पर जानवरो के कत्लेआम के खिलाफ भी बात करो 

फिर क्या था, खुद के दोगलेपन की पोल खुलने पर शशि थरूर भड़क गए और उन्होंने ये ट्वीट किया 

शशि थरूर ने मुहर्रम और बकरीद को दीपावली से बेहतर बताते हुए लिखा की 

* बकरीद पर तो सिर्फ बकरियों पर असर होता है, उनको काटा जाता है 
उसका असर किसी और पर नहीं होता 

* मुहर्रम में तो दुःख मनाया जाता है, उसका भी किसी दूसरे पर असर नहीं होता 

* पर दीपवाली के पटाखों से तो दूसरों पर भी असर होता है जो दीपावली नहीं मनाते 

शशि थरूर बताने की कोशिश कर रहे है की, बकरीद पर जानवरों का कत्लेआम जायज है, उसका विरोध नहीं हो सकता, वहीँ मुहर्रम में तो दुःख मनाया जाता है उसका भी विरोध नहीं हो सकता 
विरोध दीपवाली के पटाखों का होगा क्यूंकि वो दूसरों पर असर करता है 

यहाँ आपको बता दें की, बकरीद पर जानवरों के क़त्ल से परजीवी फैलते है, कैंसर तक की बीमारियां दूसरों को होती है, साथ ही पानी की बर्बादी, और जमीन के जरिये भूतल जल में खून का मिलना 
बकरीद एक बेहद प्रदुषण फैलाने वाला इस्लामी त्यौहार है, पर शशि थरूर जो खुद को पढ़ा लिखा बताते है, वो इसपर नहीं बोलना चाहते 

वहीँ दही हांड़ी में हिन्दू बच्चे ऊपर चढ़े उनके पैर टूटे उस से दूसरों पर क्या असर पड़ता है ?
फिर भी कोर्ट  और सेक्युलर तत्व दही हांड़ी को खतरनाक बताकर उसपर नियम थोपते ही है, जबकि मुहर्रम में  बच्चों का खून बहाया जाता है, उसपर ये सेक्युलर चुप कैसे रहते है 

और जब कोई इनसे सवाल पूछे तो ये भड़क जाते है, मुहर्रम, बकरीद को दीपावली से बेहतर बताने लगते है