राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह को जानबूझकर नहीं बचाया था गांधी ने, गांधी डरता था उनकी बढ़ती लोकप्रियता से,
जरा जरा सी बातो पर अनशन करने वाले गांधी से जब लोगों ने भगत, राजगुरु, सुखदेव को बचाने की कोशिश की मांग की तो गांधी ने उस मांग को ठुकरा दिया,
अंग्रेजो से अच्छी मित्रता रखने वाले गांधी ने तीनों शहीदों को बचाने के लिए एक छोटी कोशिश भी नहीं की,
दरअसल उस समय गांधी से भी अधिक लोकप्रियता भगत, राजगुरु, सुखदेव व् अन्य क्रांतिकारियों की हो चुकी थी, जिस से गांधी तथा नेहरू घबराये हुए थे क्योंकि वो स्वयं को भारत का हीरो बनाने में लगे हुए थे,
यहाँ तक की, अंग्रेज महिलाओ से अंतरंग सम्बन्ध रखने वाले नेहरू ने भी क्रांतिकारियों को बचाने के लिए एक पत्र तक नहीं लिखा,
गांधी ने क्रांतिकारियों की आलोचना की उनके क्रांति को हिंसा बताकर स्वयं के आंदोलनों को आज़ादी का सही मांग बताया और स्वयं को महात्मा घोषित करवाया,
जबकि वो कोशिश करता तो बच सकती थी भगत, राजगुरु तथा सुखदेव की जान।
जरा जरा सी बातो पर अनशन करने वाले गांधी से जब लोगों ने भगत, राजगुरु, सुखदेव को बचाने की कोशिश की मांग की तो गांधी ने उस मांग को ठुकरा दिया,
अंग्रेजो से अच्छी मित्रता रखने वाले गांधी ने तीनों शहीदों को बचाने के लिए एक छोटी कोशिश भी नहीं की,
दरअसल उस समय गांधी से भी अधिक लोकप्रियता भगत, राजगुरु, सुखदेव व् अन्य क्रांतिकारियों की हो चुकी थी, जिस से गांधी तथा नेहरू घबराये हुए थे क्योंकि वो स्वयं को भारत का हीरो बनाने में लगे हुए थे,
यहाँ तक की, अंग्रेज महिलाओ से अंतरंग सम्बन्ध रखने वाले नेहरू ने भी क्रांतिकारियों को बचाने के लिए एक पत्र तक नहीं लिखा,
गांधी ने क्रांतिकारियों की आलोचना की उनके क्रांति को हिंसा बताकर स्वयं के आंदोलनों को आज़ादी का सही मांग बताया और स्वयं को महात्मा घोषित करवाया,
जबकि वो कोशिश करता तो बच सकती थी भगत, राजगुरु तथा सुखदेव की जान।