डेनियल नाम का व्यापारी ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश में, और सिडनी जैसे बड़े शहर में
भारतीय खटिया बेचकर करोड़ों रुपए कमा रहा है
जी हां नारियल और सूत के धागे से बनने वाला खटिया, जिसे भारत में अब पिछड़ेपन की निशानी समझा जाता है
डेनियल नाम का व्यापारी सिडनी में भारतीय खटिये की खूबियां बता रहा है
और उसे 65 हज़ार रुपए में बेच रहा है
65 हज़ार में भी बस सिंगल खटिया, छोटा सा खटिया

डेनियल ने अपने इस्तिहार में भी लिखा है, ये भारतीय खटिया है
पर ऑस्ट्रेलिया में ही बना है, पर भारतीय डिज़ाइन पर
साथ ही डेनियल ये भी बता रहा है की ये भारतीय खटिये का डिज़ाइन हज़ारों साल पुराना है, इसे भारत में हज़ारों साल से इस्तेमाल किया जाता रहा है
जिस खटिये को भारत में अब बस गाँव में ही इस्तेमाल किया जाता है, वहां भी इसे पिछड़ा हुआ ही समझा जाता है, उसे सिडनी जैसे बड़े आधुनिक शहर में 65 हज़ार में बेचा जा रहा है
और खूब बिक्री भी हो रही है
भारतीय संस्कृति और भारतीय डिज़ाइन विदेशों में धूम मचाते है
पर भारत में ही अब इन्हे हीन भावना से देखा जाता है, बता दें की "हल्दी वाला" दूध, जिसे भारतीय लोग अब कम ही पीते है चूँकि वो बोर्नविटा, होर्लिक्स का इस्तेमाल अब करते है
इस हल्दी वाले दूध को जर्मनी में "मजिक मिल्क" कहकर पिया जाता है
पत्तल वाले बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है, पर भारत में ये सब पिछड़ेपन की निशानी है और कुछ नहीं