सेक्युलर हिन्दू (मुर्ख) की आँखे खोलने वाला आर्टिकल,
इस्लाम में 2 पालिसी है, पहला अल तकिय्या और दूसरा कितमान, आइये दोनों के बारे में विस्तार से जान लें, फिर जितना सेकुलरिज्म निभाना हो निभाएं, ये पॉलिसियां इस्लाम के विस्तार के लिए बड़ी चालाकी से बनाई गयी है,
इस्लाम में 2 पालिसी है, पहला अल तकिय्या और दूसरा कितमान, आइये दोनों के बारे में विस्तार से जान लें, फिर जितना सेकुलरिज्म निभाना हो निभाएं, ये पॉलिसियां इस्लाम के विस्तार के लिए बड़ी चालाकी से बनाई गयी है,
1- अल तकिय्या - इसका अर्थ है ढोंग करना, ढकोसला फैलाना, सत्य को नकारना
* कब किया जाता है - जब किसी इस्लामी किताब में (कुरान, हदीस) में कोई गलती पकड़ी जाये कोई आपत्तिजनक चीज हो तो मुस्लिम उसे इंकार कर देंगे कहेंगे ऐसा लिखा ही नहीं, उस समय की बात और होगी, आज वो रद्द हो चुकी है इत्यादि, पर कभी उस किताब को सुधारने की बात नहीं कहेंगे।
* कब किया जाता है - जब किसी इस्लामी किताब में (कुरान, हदीस) में कोई गलती पकड़ी जाये कोई आपत्तिजनक चीज हो तो मुस्लिम उसे इंकार कर देंगे कहेंगे ऐसा लिखा ही नहीं, उस समय की बात और होगी, आज वो रद्द हो चुकी है इत्यादि, पर कभी उस किताब को सुधारने की बात नहीं कहेंगे।
2- कितमान - इसका अर्थ है झूठ फैलाना, आडम्बर करना, आरोप लगाना
* कब किया जाता है - जब मुस्लिम अल्पसंख्यक हो, तो वहां पर बहुसंख्यक समुदाय स झूठ बोलो, इस्लाम में तो ऐसा है ही नहीं, कुरान इसकी इज़ाज़त नहीं देता, उदाहरण, अभी ओवैसी ने बयान दिया “भारत माता की जय नहीं कहूँगा” तो भारत का बहुसंख्यक समाज एकजुट होने लगा तो मुस्लिम निकल पड़े भारत माता की जय करने, कहने लगे की इस्लाम तो ऐसा बताता ही नहीं, जबकि इस्लाम में देशभक्ति की इज़ाज़त नहीं, कुरान में “उम्मह” का आदेश है, देशभक्ति हराम है,
कितमान के अनुसार, गलती पकडे जाने पर आप दुसरो की गलती निकालने लागो, नहीं निकाल पाये तो आरोप लगाओ, हिंसा करो, गाली गलौज से काम चलाओ
* कब किया जाता है - जब मुस्लिम अल्पसंख्यक हो, तो वहां पर बहुसंख्यक समुदाय स झूठ बोलो, इस्लाम में तो ऐसा है ही नहीं, कुरान इसकी इज़ाज़त नहीं देता, उदाहरण, अभी ओवैसी ने बयान दिया “भारत माता की जय नहीं कहूँगा” तो भारत का बहुसंख्यक समाज एकजुट होने लगा तो मुस्लिम निकल पड़े भारत माता की जय करने, कहने लगे की इस्लाम तो ऐसा बताता ही नहीं, जबकि इस्लाम में देशभक्ति की इज़ाज़त नहीं, कुरान में “उम्मह” का आदेश है, देशभक्ति हराम है,
कितमान के अनुसार, गलती पकडे जाने पर आप दुसरो की गलती निकालने लागो, नहीं निकाल पाये तो आरोप लगाओ, हिंसा करो, गाली गलौज से काम चलाओ
सुन्नी विद्वान इब्न कथिर की व्याख्या के अनुसार, मुस्लिमो और गैर मुस्लिमो के बीच कभी मित्रता नहीं होनी चाहिए, अगर किसी कारणवश ऐसा करना भी पड़े तो वो तबतक ही रहना चाहिए जबतक मकसद पूरा नहीं हो जाता।
मुस्लिम, अल तकिय्या और कितमान अल्पसंख्यक रहते हुए करते है, ताकि बहुसंख्यक गुमराह रहे
* दारुल हर्ब - ये वैसी परिस्तिथि है जहाँ मुस्लिम अल्पसंख्यक हो और कोई दूसरा समाज बहुसंख्यक हो, दारुल हर्ब ने आप मीठी छुरी बन जाओ, इस्लाम को शांति का मजहब बताओ, बहुसंख्यक को गुमराह करो, और अपना कार्य (जिहाद) करते रहो जबतक दारुल हर्ब से दारुल इस्लाम (जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक) बनाओ फिर शरिया लागू कर दो।