15 नवंबर 1949 में गांधी के क़त्ल के बाद फांसी पर चढ़ाए गए नाथूराम गॉडसे और नारायण आप्टे की अस्थियां अभी तक बचा के रखी गयी है
हर साल 15 नवंबर को महात्मा गोडसे की पुण्यतिथि पर गोडसे सदन जो की महाराष्ट्र में है वहां गोडसे के बारे में लोगों को बताया जाता है तथा लोग महात्मा गोडसे की अस्थियों के दर्शन करते है
दरअसल 15 नवंबर 1949 को महात्मा गोडसे को फांसी देने के बाद उनके शव को परिवार को नहीं दिया गया बल्कि सरकार ने उसे स्वयं जला दिया
हिन्दू महासभा के एक कार्यकर्त्ता अत्रि ने अग्नि शांत होने के बाद महात्मा गोडसे की अस्थियों को कलश में भर लिया और उसे उनके भाई गोपाल गोडसे को सौंप दिया
उन अस्थियों को अभी भी एक चांदी के कलश में रखा गया है
महात्मा गोडसे ने अपनी इच्छा में कहा था की, "मेरी अस्थियों को सिंधु नदी में डालना, जब वो फिर से भारत के ध्वज के नीचे बहने लगे, चाहे इसमें कितनी भी पीढियां लग जाये"
आपको बता दें की देश को गद्दारो द्वारा तोड़े जाने से पहले सिंधु नदी भारत में थी, जो की अब पाकिस्तान में है
जीते हुए महात्मा गोडसे देश का बटवारा नहीं सह पाये
और मरने के बाद भी वो देश के लोगों को फिर प्रेरित कर रहे है की अखंड भारत फिर बनाओ, वो हमारा देश है मातृभूमि है
अखंड भारत बनने के बाद ही महात्मा गोडसे की अस्थियों को
सिंधु नदी में बहाया जायेगा ताकि उनको मुक्ति मिल सके