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मायावती को राज्यसभा जाने से रोकने के लिए बीजेपी ने नरेश अग्रवाल को किया है शामिल



बीजेपी नरेश अग्रवाल जैसे शख्स को पार्टी में लेगी ऐसा किसी ने सोचा नहीं था, बीजेपी के समर्थक भी हैरान हो गए जब खबर आयी की नरेश अग्रवाल को बीजेपी में शामिल किया जा रहा है, बहुत से समर्थकों ने भी नरेश अग्रवाल का विरोध किया, लोगों को समझ में नहीं आया की आखिर क्यों नरेश अग्रवाल जैसे आदमी को बीजेपी शामिल कर रही है 

पर अब एक नयी जानकारी और एक नया गणित बीजेपी के  कुछ समर्थको के माध्यम से ही मिली है, बीजेपी भी जानती थी की नरेश अग्रवाल को पार्टी में शामिल करने से समर्थक नाराज होंगे, इसके बाबजूद बीजेपी ने नरेश अग्रवाल को क्यों  शामिल किया इसपर देखिये ये नया गणित 



राजेश जिंदल से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीजेपी ने मायावती को राज्यसभा भेजने से रोकने के लिए नरेश अग्रवाल को समर्थको की नाराजगी का जोखिम लेते हुए भी शामिल किया है, उत्तर प्रदेश राज्यसभा जाने के लिए 37 विधायक चाहिए, अब सपा के पास अभी 47 है, सपा जया बच्चन को भेज रही है, यानि 37 विधायक जया के लिए, फिर सपा के पास बचे है 10 

वहीँ मायावती से सपा ने कहा है की आप लोकसभा के उपचुनावों में सपा की मदद करती हो तो बाकि 10 सपा विधायक भी आपको राज्यसभा जाने के लिए वोट देंगे, इसी के बाद गोरखपुर और फूलपुर में मायावती ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे और सपा को समर्थन दे दिया 

अब सपा के 10, मायावती के पास खुद के 19 है, यानि टोटल 29 हो गया, कांग्रेस के 7 है यानि टोटल 36 हो गया, और RLD का 1 है यानि टोटल कुल मिलाकर 37 हो गया, यानि मायावती आसानी से राज्यसभा जाएँगी, अब बीजेपी ने इसी को देखते हुए नरेश अग्रवाल को पार्टी में ले लिया है

नरेश अग्रवाल सपा की ओर से ही सांसद था, और सपा में उसके भी कई सारे लोग है, यानि वो सपा के 10 में से कुछ विधायक तोड़ सकता है, और ऐसे में मायावती राज्यसभा नहीं जा पाएंगी, बीजेपी का मानना है की मायावती राज्यसभा जाए इस से भला है की नरेश अग्रवाल ही राज्यसभा जाये, इसमें भी बीजेपी की सोच देखिये 


मायावती अगर इस बार  राज्यसभा नहीं जाती तो बसपा ख़त्म हो सकती है, वहीँ नरेश अग्रवाल बीजेपी में शामिल होकर राज्यसभा जाता है तो उस से मायावती तो ख़त्म होंगी ही होंगी, साथ ही नरेश अग्रवाल बीजेपी में रहकर राम विरोध तो नहीं ही करेगा, और इन्ही इन बिंदुओं को गौर में रखते हुए ही बीजेपी ने नरेश अग्रवाल को शामिल किया है, इस फैसले से बीजेपी मायावती को ख़त्म करना चाहती है साथ ही नरेश अग्रवाल बीजेपी में रहकर अंदर से न सही पर बाहर से तो राम विरोधी नहीं ही रहेगा, बीजेपी के इस फैसले में काफी कूटनीति छिपी हुई है और ये फैसला काफी सोच समझकर लिया गया है